New order has come for 5 lakh teachers of Bihar, now attendance will not be done only by selfie : बिहार के 5 लाख शिक्षकों के लिए आ गया नया फरमान, अब अटेंडेंस सिर्फ सेल्फी से नहीं… देने होंगे ये सबूत
बिहार सरकार ने राज्य के करीब 5 लाख शिक्षकों के लिए एक नया फरमान जारी किया है, जिसके अनुसार अब स्कूलों में शिक्षकों की उपस्थिति (अटेंडेंस) केवल सेल्फी से नहीं, बल्कि कुछ अतिरिक्त प्रमाणों के साथ दी जाएगी। यह कदम राज्य के शिक्षा विभाग की ओर से शिक्षा व्यवस्था में सुधार लाने और शिक्षकों की उपस्थिति की निगरानी को और अधिक सख्त बनाने के उद्देश्य से उठाया गया है। यह नया आदेश राज्य भर में शिक्षा के स्तर को बेहतर बनाने और शिक्षा गुणवत्ता में सुधार की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।
क्या है नया फरमान?
अब तक बिहार में सरकारी स्कूलों के शिक्षक अपनी उपस्थिति दर्ज करने के लिए केवल सेल्फी भेजते थे, जिसे कई बार अनुशासनहीनता और स्कूल में वास्तविक उपस्थिति की जांच करने में मुश्किलें आ रही थीं। इस समस्या को दूर करने के लिए बिहार सरकार ने शिक्षकों की उपस्थिति के लिए एक नया तरीका अपनाया है। अब शिक्षक केवल सेल्फी के साथ-साथ कुछ अतिरिक्त प्रमाण भी जमा करेंगे ताकि उनकी उपस्थिति को सत्यापित किया जा सके।
उपस्थिति का सत्यापन कैसे होगा?
बिहार सरकार के शिक्षा विभाग ने जो नया फरमान जारी किया है, उसके अनुसार शिक्षकों को अपनी उपस्थिति दर्ज कराने के लिए केवल सेल्फी नहीं, बल्कि एक वीडियो क्लिप और कुछ अन्य दस्तावेज़ भी प्रस्तुत करने होंगे। इस प्रक्रिया के तहत शिक्षक को अपनी उपस्थिति की पुष्टि के लिए निम्नलिखित कदम उठाने होंगे:
- सेल्फी और वीडियो:
शिक्षक को विद्यालय में अपने कार्यस्थल पर खड़े होकर अपनी सेल्फी और एक वीडियो क्लिप भेजनी होगी। वीडियो में शिक्षक को यह दिखाना होगा कि वह कक्षा में उपस्थित हैं और बच्चों के साथ पढ़ाई कर रहे हैं। यह वीडियो क्लिप स्कूल के शिक्षा विभाग द्वारा निर्धारित समय के दौरान भेजनी होगी। - कक्षा में बच्चों के साथ गतिविधि:
वीडियो में यह भी दिखाना होगा कि शिक्षक कक्षा में विद्यार्थियों के साथ पढ़ाई कर रहे हैं। इस दौरान शिक्षक को छात्रों के साथ किसी गतिविधि या पाठ को करते हुए दिखाना पड़ेगा। - आधिकारिक दस्तावेज़:
इसके अलावा, शिक्षक को अपनी उपस्थिति के साथ कुछ अन्य दस्तावेज़ भी अपलोड करने होंगे, जैसे कि स्कूल के डेली लॉगबुक के पृष्ठ, और उस दिन की शैक्षिक गतिविधियों का विवरण।
क्यों लिया गया यह कदम?
बिहार में सरकारी स्कूलों की शिक्षा व्यवस्था में सुधार लाने के उद्देश्य से यह कदम उठाया गया है। अब तक सेल्फी आधारित उपस्थिति प्रणाली को लेकर कई शिकायतें सामने आई थीं, जिनमें कहा गया कि कुछ शिक्षक सेल्फी भेजने के बावजूद स्कूल नहीं आते थे। इसके अलावा, स्कूलों में शिक्षकों की वास्तविक उपस्थिति का सत्यापन करना कठिन हो रहा था। इसी कारण से यह नया तरीका अपनाया गया है।
इस कदम का उद्देश्य शिक्षकों की वास्तविक उपस्थिति को सुनिश्चित करना है, ताकि बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिल सके। साथ ही, यह कदम राज्य के शिक्षा विभाग को यह सुनिश्चित करने में मदद करेगा कि स्कूलों में शिक्षा का स्तर सही तरीके से चल रहा है और शिक्षकों की उपस्थिति में कोई लापरवाही नहीं हो रही है।
शिक्षकों के लिए क्या होगा प्रभाव?
बिहार के शिक्षक अब अपनी उपस्थिति को सत्यापित करने के लिए अतिरिक्त प्रमाण प्रस्तुत करेंगे, जिनमें वीडियो और अन्य दस्तावेज़ शामिल होंगे। यह कदम शिक्षकों के लिए थोड़ा कठिन हो सकता है, क्योंकि उन्हें अब अपनी उपस्थिति की पुष्टि करने के लिए अधिक प्रयास करने होंगे। हालांकि, यह व्यवस्था शिक्षकों की कार्यप्रणाली में सुधार और शिक्षा के स्तर को बढ़ाने के लिए जरूरी है।
शिक्षकों को उम्मीद है कि इस नए फरमान के लागू होने के बाद उन्हें अपनी कर्तव्यों के प्रति और भी अधिक जिम्मेदार बनाया जाएगा। साथ ही, यह भी संभव है कि इस व्यवस्था के माध्यम से राज्य में शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार होगा, क्योंकि शिक्षकों की उपस्थिति की निगरानी बेहतर तरीके से हो सकेगी।
क्या होंगे फायदे?
- शिक्षकों की जिम्मेदारी में वृद्धि:
इस नए फरमान से शिक्षकों को अपनी जिम्मेदारी का एहसास होगा और वे अपनी उपस्थिति को सुनिश्चित करने के लिए और अधिक संजीदा होंगे। इससे स्कूलों में समय पर और नियमित रूप से पढ़ाई होगी। - शिक्षा के स्तर में सुधार:
इस व्यवस्था के माध्यम से शिक्षा विभाग यह सुनिश्चित कर सकेगा कि शिक्षक नियमित रूप से स्कूल आ रहे हैं और बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान कर रहे हैं। इसके परिणामस्वरूप शिक्षा के स्तर में सुधार हो सकता है। - अप्रत्याशित अनुपस्थिति को रोका जा सकेगा:
अब शिक्षकों की अनुपस्थिति को आसानी से ट्रैक किया जा सकेगा, जिससे अप्रत्याशित अनुपस्थिति की समस्या को सुलझाया जा सकेगा। इससे स्कूलों में शिक्षा की निरंतरता बनी रहेगी। - संवेदनशीलता और पारदर्शिता:
यह कदम पारदर्शिता लाने में भी मदद करेगा, क्योंकि शिक्षक अपनी उपस्थिति की सही जानकारी प्रदान करेंगे, जो बाद में समीक्षा की जा सकेगी। इससे किसी भी प्रकार की भ्रष्टाचार या गड़बड़ी का सामना करना आसान होगा।
निष्कर्ष
बिहार सरकार का यह नया आदेश राज्य के शिक्षा क्षेत्र में एक बड़ा कदम है। इससे न केवल शिक्षकों की उपस्थिति की सही जांच होगी, बल्कि शिक्षा के स्तर में भी सुधार की उम्मीद जताई जा रही है। हालांकि, शिक्षकों को इस नए नियम के तहत कुछ अतिरिक्त प्रमाण प्रस्तुत करने होंगे, लेकिन यह कदम बिहार में शिक्षा प्रणाली को सुधारने और गुणवत्ता में वृद्धि करने की दिशा में एक सकारात्मक प्रयास माना जा रहा है।